Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
तुम और मैं - Dipti Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

तुम और मैं

  • 291
  • 3 Min Read

#चित्राक्षरी_प्रतियोगिता

तुम और मैं

तुम मुझमें और मैं तुझमें ऐसे समायी।
जैसे नदी - सागर के आगोश में आयी।।

एक-दूसरे के पूरक दो जिस्म एक जान।
धड़कन- धड़कन को दे रही है सुनायी।।

हो रहा रूह से रूह का अनोखा मिलन।
लगे जैसे प्रेम की पावन रूत है आयी।।

बस ऐसे ही थम जाये ये पल यहीं पर।
उस रब से मांगू मैं तो अब यही दुहायी।।

दीप " से बाती का है कुछ अटूट बंधन।
अंधेरों को भी रोशनी की राह दिखायी।।

दीप्ति शर्मा "दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक

inbound6870898197468425758_1611936097.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg