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कवितालयबद्ध कविता
गगन भी हो मगन मेरे वतन का गान करता है, तिरंगा जब भी लहरायें वो झुक सम्मान करता है, विश्व को शान्तिप्रियता का सिखाया पाठ हमने ही, तभी तो हिंद का सारा जहां गुणगान करता है, ~©® शिवांकित तिवारी "शिवा"