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जन गण मन - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

जन गण मन

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*जन गण मन*

जब घर अपना हो जाए
कानून भी सब अपने हो
हम सारे जन पूरे मन से
इन गण को ऐसे हैं चुनते
गण ऐसे हो वे भी मन से
ऐसे सर्वमान्य तंत्र बनाए
सर्वजन हिताय सिद्ध हो
तभी जन गण मन बनेंगे
अधिनायक भागविधाता
गणतंत्र, जन के मन का
जय है,जय है,जय है माँ
जय जय जय जय है माँ
सरला मेहता

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