कविताअतुकांत कविता
नमन साहित्य अर्पण एक पहल-अंतरराष्ट्रीय
प्रतियोगी आयोजनः(एक दीया शहीदों के नाम)
विधाःपद्म(छंदमुक्त)
दि०-27/01/२०२१
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वीर-प्रसूता देवभूमि के,
अमर शहीद महान,
उऋण हो पायेगा राष्ट्र कहाँ,
मर मिटे देश की आन।
वीरोचित रक्त प्रवाहित,
बही ऊर्जा धमनी अंतर्गत,
अंतस के प्रति स्पंदन में,
मात्र देश की बान-शान।
जीवन, प्राण सकल आहुत,
निर्वहन सुरक्षा का अतिभार,
कर्तव्य-परायणता मिसाल,
शुचि देशप्रेम व्यवहार।
देशभक्ति संचारित प्रति रोम,
शक्ति समाहित स्वाँसों में,
सीमा पर प्रहरी सजग चारु,
तुम रहे अडिग हिमालय से।
द्मुतिमान रहो आकाश-दीपवत,
नीलग्रह के चारु वलय में,
राष्ट्र भुला पायेगा कैसे,
अंतर्तम शुचि हृदय निलय से।
--मौलिक एवं स्वरचित--
(अरुण कुमार)
लखनऊ(उ.प्र.)