कविताअतुकांत कविता
# 19,1,21 pratiyogita
विषय-*जनवरी की ठंड*
*तुम याद आते*
सर्द बहती हैं हवाएं,
ठिठुरी फिजाएँ
सूरज तले, गुनगुनी
धूप सुनहरी
या सुलगते अलाव
देखती मैं
एहसास तेरा पाती,
तुम याद आते
गरम गुड़ का दोना,
मेवे की पिन्नी
गज़क करारी, भुनी
मूमफलियाँ
अदरक वाली, चाय
की प्यालियाँ
या वही सोंधी कॉफ़ी
तुम याद आते
वो रज़ाई में दुबकना
सिगड़ी की लाली
संगीती तानें सुरीली
गूँजे स्वरलहरियाँ
शमा टिमटिमाने से
धड़कने बढ़ जाना
ग़ज़ल का गुनगुनाना
तुम याद आते
वो मफ़लर का उड़ना
दास्तानों की गर्मी
मुस्कुराते सहलाते फ़िर
यूँ शॉल ओढ़ाना
ख़याल जब भी तेरा आए
ख़्वाबों में आना
तस्वीर में तेरा मुस्कुराना
मुझे याद आता
सरला मेहता