कवितालयबद्ध कविता
मेरा प्यारा देश
रहे बुलंद सदैव तिरंगा मेरे वतन का
है प्रतिफल ये अनगिनत लोगों के जतन का
अहिंसा और शांति के ज़रिये तोड़ी गुलामी की बेड़ियां सारी
पर डरपोक नहीं हैं समझ ले ये दुनिया सारी
डालेगा जो भी कुदृष्टि ,सोचेगा देश के पतन का
इंतज़ाम करना होगा उसे फिर अपने कफन का
बनी रहे आज़ादी,निभानी होगी अच्छे से हमें अपनी ज़िम्मेदारी
रहना होगा सतर्क,रखनी होगी अपनी पूरी तैयारी
नर ही नहीं, देश की रक्षा में जुटी हैं लाखों नारी
देश कोई सा भी हो सामने, पलड़ा हमारा ही रहेगा भारी
हम रहें ना रहें, रहना चाहिए हमारा वतन
स्वतंत्रता सेनानियों और रखवालों को मेरा कोटि-कोटि नमन
है कामना यही, रहे देश में मेरे चैन औ अमन
कर दूं न्यौछावर देश के लिये मैं अपना तन,मन,धन
है स्वप्न मेरा, मिलेअपना ही वतन,जब करूं इस दुनिया से गमन
मिले गर अगला जन्म ,तो पाऊं अपना यही प्यारा वतन
कुरीतियों, कुत्सित विचारों, अंधविश्वास ,अज्ञानता से भी हमें पार पाना है
आधुनिक सोच और संस्कृति के साथ भारत को विश्व गुरु बनाना है
मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर