कविताअतुकांत कविता
याद है ना तुम्हे..
तुम्हारे लाये वो पर्पल फूल.
हां!!वही जिनके नाम तक तुम्हे
पता नहीं थे और ना मुझे!
मुझे पर्पल रंग पसंद है इसलिए
तुम फूलों की दुकान से मेरे लिए
पहली बार वो पर्पल फूल लाये थे..
और उस नन्हे फूलों के गुलदस्ते से
मैंने कुछ अपनी नीली डायरी में रख लिए थे..
जो सूख गये है वक़्त की धूप लग कर
उन फूलों के पन्नो में दबे दबे रहने से बने
निशां किसी कविता से लगते है..
यादों की कविता!!
बिन शब्दों की कविता!!
स्वरचित -प्रियंका गहलौत (प्रिया कुमार )