Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
स्वामी विवेकानन्द - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

लेखआलेख

स्वामी विवेकानन्द

  • 198
  • 7 Min Read

स्वामी विवेकानन्द जी
की जयंती पर
स्वामी जी का जन्म 12 जन 1863 को बेलूर मठ में हुआ।
आ0 रामकृष्ण परमहँस के परम शिष्य, परम् ओजस्वी व देदीप्यवान,
सनातन धर्म-प्रचारक, उच्च स्तर के लेखक विचारक वक्ता दार्शनिक
विश्वगुरु थे।
अपने जीवन की मात्र 39 वर्ष की अल्पावधि में ही उन्होंने विश्व गुरु बन कर भारत को सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा दिया।
धर्म का प्रचार यूँ ही नहीं किया। देश के कोने कोने में जाकर समस्त धर्मों का गहन अध्ययन करके, उनमें से सार तत्वों को लेकर ही अपने सारे सिद्धांतों का उचित व सारगर्भित प्रतिपादन किया। मात्र 23 वर्ष की अवस्था में भगवा चोला धारण कर लिया। सर्व धर्म समभाव के बलबूते पर उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना प्रचारित की। रिश्तों में जीवन का समावेश हो। डर मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। ख़ुद को कभी कमज़ोर मत समझो, यह सबसे बड़ा पाप है। संकल्पों को साकार करने ज़रा भी देरी ना हो। हमारे देश के
युवाओं के लिए वे एक मिसाल व उदाहरण हैं।
जागो, उठो व तब तक नहीं रुको जब तक की लक्ष्यपूर्ति ना हो। देशभक्ति व राष्ट्रभक्ति के हिमायती थे। अध्यात्म के साथ ज्ञान व विज्ञान का भी अनुसरण करो।
सन 1893 में शिकेगो में विश्व धर्मसम्मेलन में प्रमुख वक्ता की भूमिका निभाते भारत का प्रतिनिधित्व किया। भाइयों और बहनों से शुरू कर लगातार तीन घण्टों तक श्रोतागण को बाँधे रखा। सनातन धर्म को सब धर्मों का आधार सिद्ध करने के लिए सारी धर्म पुस्तकों के नीचे गीता को रखा। सब धर्मों का सार गीता है।
ऐसे हमारे स्वामी जी को शत शत नमन।
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
समीक्षा
logo.jpeg