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उम्मीदों का दशक - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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उम्मीदों का दशक

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उम्मीदों का दशक💐

जो बीत गया,उसके बारे में सोचने से अच्छा है आने वाले दशक का
सोचे। बीती ताहि बिसार के क्यूँ न हम आगे की सुध लें। उम्मीदों पर दुनिया जी रही है। गीता कहती है,,,जो हुआ अच्छा होगा, जो हो रहा अच्छा है और आगे जो होगा अच्छा ही होगा। इक्कीसवीं सदी का बीसवाँ वर्ष कई अजूबे विसंगतियाँ छोड़ गया है,,,कोरोना का कहर, आर्थिक विकास का थमना, निजी क्षेत्र में बेरोजगारियां, मजदूरों का पलायन, विद्यार्थियों का नुकसान बगैरह वगैरह। जिसकी भरपाई हर हालत में करनी है।किन्तु समय का चक्र रुका नहीं और दो हज़ार इक्कीस ने दस्तक दे दी है। विगत वर्ष में बहुत कुछ खोया तो पाया भी है।दुर्बल और दो आषाढ़- सच नीम पर करेला ही चढ़ गया। एक वायरस तो था ही, दूसरे ने भी धावा बोल दिया।
* यह दशक हमारे लिये, मानवता के लिए इस जानलेवा वायरस का कोई तोड़ निकाले। वैक्सीन पर जोर शोर से कार्य चल रहा है।
*जूते-चप्पल बाहर उतार हाथ-पैर धोना, पूजा पाठ हवन की वही सनातनी परम्परा का पालन, शुद्ध भोजन व सात्विक विचार जैसे सहयोग सहानुभूति आदि। इन सब आदतों को अनवरत रखना है।
* दूसरा सबसे अहम संकल्प यही है कि जो परम्पराएँ प्रारम्भ हुई है उनका पालन करना।
* हमारा विश्वास व आशा , आकाश को टिका सकता है। हम तो इंसान हैं। जापान की तर्ज़ पर जो खोया है, उसे पुनः पाने का प्रयास करना है ।
* प्राकृतिक असंतुलन व प्रदूषण ही आपदाओं को आमंत्रण देते हैं। अतः हमें जल जमीन जंगल जीव-जंतु जहान ,जो कि हमारी धरोहर है, का भली भांति सदुपयोग करना चाहिए। तभी पर्यावरण अनुकूल होगा।
* जैसा अन्न वैसा मन व जैसा पानी वैसी वाणी।यह वाकई सत्य ही है।
तन व मन के स्वास्थ्य हेतु सात्विक भोजन तथा सकारात्मक विचारों का पालन मेरा संकल्प है।
व्यायाम व प्राणायाम जारी रहेंगे।
* सरहद पर तैनात सैनिकों, आंतरिक सुरक्षा कर्मी, स्वच्छता कर्मी, मेडिकल टीम, घरेलू सहायकों को सम्मान देना कर्तव्य है। मात्र अधिकारों के पीछे ही नहीं भागना है। साथ ही शहीदों के परिवारों के लिए जो भी कर सकती हूँ ,करुँगी।
* बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मात्र नारा न रहे ऐसा प्रयास करुँगी। बेटी के साथ बेटों को भी संस्कारित किए जाएं। वृद्धा से बालिका के साथ जो दरिंदगी हो रही है,उस हेतु भरसक कोशिश हो।
जब आप इस कृत्य को रोकते हैं तो आपकी द्रोपदी के लिए कोई कृष्ण चीर बढ़ा रहा होता है।
* गत वर्षों में विदेशी ताकतें उभरी हैं , हमें दबाने के लिए। किन्तु देश की तीनों सेनाएँ सुदृढ़ होकर आने वाले दशक में चुनौतियों का सामना अवश्य कर पाएगी।
* लॉक डाउन के चलते मानव अंदर तो प्रकृति प्रसन्न। हरे भरे पेड़ों पर पंछियों ने डेरा डाल लिया। उनकी चहचहाहट आगे भी महफ़ूज रखें।
* जो भी अच्छी आदतें संस्कार अर्जित किए हैं,उन्हें जारी रखें। ताकि हमारे नौनिहाल भी यह संस्कृति आगे वहन करेगी।
* भाषा व्यक्तित्व का दर्पण हैं। शब्द शमशीर भी बन सकते हैं और स्वादिष्ट खीर भी। अतः तोलकर, समझकर, धीरे से मीठा व कम बोले।
* जो स्वावलम्बन सहायता विगत माहों में सीखे हैं, कायम रखेंगे। लेकिन यदि किसी को काम की ज़रूरत है तो हर सम्भव सहायता करने का प्रयास रहेगा।
* एक अच्छे नागरिक की तरह स्वच्छ, स्वस्थ्य व हरे भरे भारत का लक्ष्य पूरा करने में सहयोग करना हमारा कर्तव्य है।
* कलाम सा कहते थे सपने अवश्य देखें। साथ ही उन्हें पूरा करने की योजना बनाएं। और लगे रहो मुन्नाभाई जब तक मंजिल ना पा लें।
* बगैर किसी पक्षपात के सुयोग्य उम्मीदवार चुनेंगे, अपना वोट देकर। देश की सम्पत्तियों स्मारकों को सहेजेंगे।
* हम भारतीयों के सारे स्वाभाविक गुणों को आत्मसात करूंगी। स्नेह शान्ति सद्भावना बढ़ा कर ईर्ष्या द्वेष से दूर रहूँगी।
कौन कहता है आसमान में छेद नहीं कर सकते ,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।
इस नव वर्ष में मेरा यही प्रयास रहेगा कि जो कुछ अभी तक नहीं कर पाई ,वह अवश्य करूँगी।
अपनी लेखनी को और तीक्ष्ण कर चलाती रहूँगी,जब तक जिंदा हूँ। हाँ अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सतर्क रहना है।
* उम्मीद से सजे ये छोटी सी ज़िन्दगी
हाल बेहाल हो
बंद ही बंद हो
सब पर प्रतिबंध हो
दिल में महाकाल हो
रोटी व दाल हो
मीठी मनुहार हो
आशा की डोर से
बंध जाए ज़िन्दगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी ज़िन्दगी *
सरला मेहता
इंदौर
स्वरचित

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