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नमस्ते इण्डिया - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

नमस्ते इण्डिया

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नमस्ते इण्डिया

मल्टी के सब बच्चों को दादाजी अति प्रिय है।छुट्टियों कर्फ्यू आदि में वे ही तो सबकी बोरियत दूर करते हैं।
कोरोना के कारण लाकडाउन के चलते बच्चे दादाजी को घेर बैठ जाते हैं।बच्चे कहते हैं,' ये कोरोना तो डेंगू से भी भयानक निकला,दादाजी ।" दादाजी समझाते हैं, "अच्छा सब अच्छे से हाथ धो रहे हो ना।" हाँ, दादाजी खूब और तो और सेनेटाइजर का खेल खत्म होने को है।" दादाजी आश्वस्त करते हैं,"ठीक है कल मैं नीम पत्तों का उबला पानी बोतलों में लाता हूँ।तुम उसमें थोड़ा देसी कपूर,हैंड वाश या लिक्विड डिटोल सोप डाल लेना।" नन्हा मुन्नू बोल पड़ा," और तुलसी?"
दादाजी हँसते हुए बोले,",अरे बाबा तुलसी खाना है, मास्क ज़रूरी व दो गज दूरी भी याद रखना है।
गर्म पानी पीना व नमक के गरारे करना। सफाई से रहना और बाहर का खाना बिलकुल नहीं खाना।"आगे पूछते हैं,बताओ और क्या क्या करते हो?" भोला मुन्नू बीच में ही बोल पड़ा," शंख घन्टा व थाली बजाते हैं,कुछ ना मिले तो ताली। हाँ हाथ नहीं मिलाना अपना नमस्ते कहना है।"
सरला मेहता

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