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इसी में तो भला है - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

इसी में तो भला है

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इसी में तो भला है

करो कर्म अच्छे इसी में तो भला है
बुराई न करना यह भी तो भला है

नहीं डगमगाए ख़ुद पे भरोसा कभी
मशक्कत के हालातों में हौंसला है

दरकती दीवारें ढह जाती कभी भी
मुकम्मल मरम्मत से हादसा टला है

सिलसिला कोशिशों का चलता रहे
सबसे मुनासिब ख़ुदा का फैसला है

किस्मत का लिखा होकर ही रहता
कितना भी कदम फूंक के चला है

रहमत ख़ुदा की बरसती रहेगी बंदे
दिल से इबादत का यह मामला है

बहस ग़र छिड़े आँखों में नींदों की
ख़यालों व ख्वाबो का मुकाबला है

दरिया ए दिल में तूफ़ानी बवंडर
ए बेमुर्वत तेरे लिए बस ज़लज़ला है

बड़ी शिद्दत से यारां चाहा था तुझको
तेरे लिए फ़क़त पानी का बुलबुला है

मैं जनम जनम की तेरी प्यारी राधा हूँ
तू रास रचैया कान्हा मेरा साँवला है
सरला मेहता

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