कविताछंद
#शब्दाक्षरी_अगस्त_आयोजन--२०२०
दिनांक--१०/०८/२०२०
वार---सोमवार
विषय---
#वो_रिमझिम_बरसात
क्या आज भी याद है तुमको, वो रिमझिम बरसात।
भीगते भागते वो अपनी , जरा सी मुलाकात।।
याद आ रहा है ना जाने क्यों, तुम्हारा वो साथ।
मेह में साथ- साथ भींगना, पकड़ हाथ में हाथ।।
यादें सदा साथ लाती है, प्यार भरी सौगात।
क्या आज भी याद है तुमको, वो रिमझिम बरसात।।
चंदा बना गवाह प्यार का, जब थी आधी रैन।
रिमझिम बरसती बरसात में , मिले नैन से नैन।।
धीरे-धीरे पता नहीं कब, हुई प्यार की बात।
क्या आज भी याद है तुमको, वो रिमझिम बरसात।।
मेरा शरम से लाल होना, आये जब तुम पास।
आज तलक जगे हुये दिल में , खुशनुमा एहसास।।
लम्बी होकर जल्दी बीती, वो प्यारी सी रात।
क्या आज भी याद है तुमको, वो रिमझिम बरसात।।
दीप्ति शर्मा
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक