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अधूरे ख्वाब - Suraj Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

अधूरे ख्वाब

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अधूरे ख्वाब

कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं।
जीवन के इस भागमभाग में।।
जिन ख्वाबों के लिए हम जीते है।
वह ख्वाब अधूरे रह जाते हैं।
दुनिया की दौड़ धूप में।।
कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं ।
जीवन के इस भागमभाग में।।
अपने ख्वाबों को पूरा करना
सभी का होता है सपना
ख्वाबों के पीछे अपनी।
मेहनत को करें मजबूत
तब जाकर होते कहीं ख्वाब पूरे।।
कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
जीवन के इस भागमभाग में।।
अधूरे ख्वाबों की कसक
रह जाती है जिंदगी भर।
जिनके ख्वाब पूरे होते हैं
उसके पीछे उनकी मेहनत है
अधूरे ख्वाबों को पूरा करना,
सभी के दिल की हसरत है।
फिर भी ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
जीवन के इस भागमभाग में।।

स्वरचित
सूरज कुमार
पटना बिहार

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