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#उस शाम हुई बरसात बहुत - Sunita Jauhari (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

#उस शाम हुई बरसात बहुत

  • 341
  • 6 Min Read

#उस शाम हुई बरसात बहुत
मैं भीगी उस रात बहुत ,

रोम-रोम पुलकित हुआ
प्यार की बारिश में मन भीगा बहुत,

एक बादल से मैं टकराई थी
टूट-टूट जिसे चाही बहुत,

बारिश की नशीली बूंदों में तब
कागज की तरह भीगे दोनों बहुत,

इश्क, हुस्न ,मौसम ,बारिश
और सर्द हवाएं भी महक उठी थी बहुत,

मेरे हाथ में था प्रियतम का हाथ
जिसे टूट कर खुदा से मांगा था बहुत ,
उस शाम हुई बरसात बहुत
मैं भीगी उस रात बहुत ।।

धड़कतें दिलों में शोर था
नशे का आलम चहुंओर था,

ठंडी ठंडी-ठंडी फुहारों का साथ था
गर्म सांसों का एहसास था ,
अधरों पे थी बूंदों की रवानी
भीगे बालों से था टपकता पानी बहुत,
उस शाम हुई बरसात बहुत
मैं भीगी उस रात बहुत ।।

रोम-रोम भीग रहा था उस बरसात में
एक तरफ बरसता पानी एक तरफ प्यार था तूफानी,

ठंड से थरथराते बदन पे
कंपकंपाते होठों की जुगलबंदी थी बहुत,

दिल बहा कर ले गया बरसात की वो पहली बारिश
उस रात भीगने की जो थी खलिश बहुत ,
उस शाम हुई बरसात बहुत
मैं भीगी उस रात बहुत ।।

महज याद बनकर रह गया है
वो तेरी बाहों में गुजरी शाम की रुत ,

सोचती हूं तुझे याद नहीं क्या वो सारी बात
तेरे सीने में मेरी गर्म सांसों की बहकती रात,

आज फिर बरसात है फिर सुहानी शाम है
आ जाओ कि तुम्हें याद करती हूं बहुत,
उस शाम हुई बरसात बहुत
मैं भीगी उस रात बहुत।।
*******************************
सुनीता जौहरी
वाराणसी
स्वरचित व मौलिक

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Anand Anand

Anand Anand 4 years ago

Nice one✌️

Sunita Jauhari4 years ago

Thanks

प्रपोजल
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