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चहेता - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

चहेता

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चहेता

तीन भाइयों और एक लाड़ली बहना का भरापूरा परिवार। दोनों बड़े भाई अपने धंधे पानी में लगे हैं पर छोटा निखट्टू। सब उसे छोटू ही बुलाते हैं,हालांकि उसका नाम है राजकुमार। अभी वह मतकमाऊं है ,हाँ पढ़ाई अवश्य करता है जितना भी समय मिले। माँ की तम्बाखू सुपारी लानी हो या बाबा का पान, भाइयों के कपड़ों पर स्त्री करवाना व बच्चों को पार्क लेजाना आदि कार्य उसी के खाते में आते हैं। कड़ी के लिए छाछ व बर्नी थमाते हुए भाभी आदेश देती, " छोटू जी,कड़ी पत्ता लाना मत भूलना।" पैसे का हिसाब भी जरूर देना है। छोटी बहन की फरमाइशें अलग। एक वही तो निठल्ला है घर में।
बस एक बेचारी माँ को ही तरस आता है। छोटू रुंआसा हो माँ से पूछता है , " आप ही बताओ माँ दिनभर इसतरह भटकने के बाद कैसे करूँ पढ़ाई ?" माँ उसके बालों को सहलाते हुए समझाती," अच्छा तो मेरा लाल नाराज है।तुम्हीं बताओ भला,यदि किसी को प्रकाश व बरसात चाहिए तो किससे मांगेंगे ?"
छोटू झट से जवाब देता है,"सूरज और बादलों से ।"माँ आगे कहती है,"ये हुई न बात,चूँकि तुम सबके काम अच्छे से करते हो इसलिए तुम्हीं से कहते हैं।और तुम हो भी बड़े ईमानदार। जब तुम खूब पढ़ाई करके बड़े आदमी बन जाओगे,सभी के चहेते बन जाओगे समझे।"
सरला मेहता

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