Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
भूख कैसी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

भूख कैसी

  • 188
  • 6 Min Read

मानवाधिकार दिवस पर विशेष
"भूख के लिए"

पास ही एक इमारत बन रही है। चौकीदार चार बच्चों के परिवार के साथ वहीं झोपड़ी में जैसे तैसे गुज़ारा करता है। काम के लिए कोमिला उनकी बारह साल की सलोनी को बुलाती रहती है।
बचा खाना देते हुए ," ये पुराने कपड़ो का पोटला भी ले जा,सलोनी।" वह कुछ न कुछ अटाला देती रहती। अच्छी पहचान होने से वह सलोनी को काम के लिए अपने पास रख लेती है।
चौकीदार परिवार अपने देश लौट जाता है।
कुछ दिन ठीक रहा।सारा काम करने के बाद भी उसे बचा खुचा मिलता।
वह भरपेट खाने के लिए तरसने लगी।
ख़ुद कोमिला को क्लब से फुरसत नहीं। मेडम की अनुपस्थिति में
उनके पति कुंदन को वह बच्ची ही गरम गरम चपातियाँ सेक खिलाती।
पड़ोसी चकित थे कि बुझी सी रहने वाली मासूम अब स्वस्थ दिखने लगी। एक खबरी सी पड़ोसन ने सलोनी से प्यार व भय दिखा सच्चाई उगलवा ली।और पुलिस को खबर कर दी।
तहक़ीक़ात में पता चला की कुंदन मौका देख अच्छे से खाना खिला मासूम को यहाँ वहाँ छू भी लेता था। धीरे धीरे वह उसकी हवस का शिकार बनने लगी। अपनी भूख मिटाने के लिए भेड़िए की भूख मिटाने लगी। ख़बरी पड़ोसन ने सलौनी को को माता पिता के पास पहुँचा दिया।
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG