कहानीलघुकथा
टोटका
सवेरे की चाय ले बालकनी में बैठी कि कुछ कटने की आवाज़ आई। सामने वाले नीबू पेड़ पर कुल्हाड़ी चल रही है। चार पाँच साल से फ़सल दे रहा था। हम भी कभी ले लेते थे । उन्होंने अचार बनाना भी मुझसे सीखा।
" भाई सा यह क्यों ,,,?बात काटते वे बोले," जी आंटी,पंडितजी ने बताया
कि यह काँटेदार खट्टा नीबू का पेड़ परिवार के लिए अपशगुनी है,तो फिर क्या करता।"
सुनकर आश्चर्य हुआ। सोचने लगी ," वृक्ष चाहे फल ना दे ठंडी छाया तो देता है। नीबू तो सुना है टोने टोटके के काम आता है। फिर बेचारे नीबू के साथ ये कैसा टोटका?"
सरला मेहता