कवितालयबद्ध कविता
नमन-----साहित्य अर्पण एक पहल
विषय-------------बारिश वाला प्यार
तिथि----------------08/08/2020
वार---------------------------शनिवार
विधा----------लावणी छन्द में गीत
मात्राभार---------------------16,14
#बारिश_वाला_प्यार
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग-भीग कर प्यार करें।
मस्त सुहाना मौसम आया,झूम-झूम कर प्यार करें।।
इन्द्र देवता जल बरसा कर,मौसम मस्त बनाते हैं।
नदिया कल कल बहती जाती,सागर भी लहराते हैं।।
धरती ओढ़े धानी चूनर ,बारिश से हरियाली है।
मस्त सुहानी प्रेम कहानी,भीग रही दिलवाली है।।
मौसम लेता है अँगड़ाई,अम्बर तक हम प्यार करें।
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग-भीग कर प्यार करें।।
पायल की झंकार तुम्हारी,सुबह शाम मैं सुनता हूँ।
भीग -भीग कर मैं बारिश में,नाम तुम्हारा गुनता हूँ।।
गले तुरत लग जाओ मेरे,भाती मुझको देर नहीं।
तुम पर टिकती नजरें मेरी,चाहूँ कभी सवेर नहीं।।
संग निभाओ प्यारी मेरा,जीवन भर हम प्यार करें।
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग-भीग कर प्यार करें।।
पानी की जब पड़ें फुहारें,शबनम जैसे लगती हो।
बारिश की हरियाली में तुम,दुल्हन जैसे लगती हो।।
सदा सुहाती तेरी बातें,जो भी जानम कहती हो।
मेरे दिल में वास तुम्हारा,साँस-साँस में रहती हो।।
होठों पर मुस्कान बिखेरो,आओ जानम प्यार करें।
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग-भीग कर प्यार करें।।
नूर देखता जब मुखड़े पर,मुँह से लार टपकती है।
दिल से दूर नहीं जाती हो,हरदम याद खटकती है।।
बिना तुम्हारे जीना मुश्किल,हर बात कहूँगा सच्ची।
संग निभाना प्यारी मेरा,तुम बात न करना कच्ची।।
बाहुपाश के बंधन में हम,नभ से भू तक प्यार करें।
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग-भीग कर प्यार करें।।
नभ में बादल कारा-कारा,प्यार सुहाना चहक गया।
अम्बर से पानी बरस रहा,प्यार हमारा महक गया।।
हरदम नजरें तुमको तकती,तुम बिन ही दीवाना हूँ।
इश्क मुहब्बत करते-करते,मस्त मगन मस्ताना हूँ।।
वक्त कभी बर्बाद न करना,मस्ती से हम प्यार करें।
आओ दूर चलें हम दोनों,भीग भीग कर प्यार करें।।
अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश