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क्या कहें - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

क्या कहें

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क्या कहें..?

क्या कहें..?
कुछ कहा नहीं जाता अब
ऐसा मुग्ध किया
उस मुग्धा ने कि
हमें बेचैनियां दे गई.....

मैं तो धीर था अपने में
अधीर उसने बना दिया
मैं पीठमर्द था बना
ख़ंजर उसने चला दिया

वो परकीया थी
वो अभिसारिका थी
वो रतिप्रिया थी
वो परोढा थी
वो कनिष्ठा थी
हम समझ नहीं सके
वो ओर क्या क्या थी
जो थी बहुत बेदर्द थी........!!

संदीप चौबारा
फतेहाबाद
08/11/2020

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