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आशंका - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

आशंका

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आशंका

"माँ, आप रानियों सी सजी धजी कहाँ नृत्य कर रही हैं।" तस्वीर देख रूही पूछ बैठी। लंबी सांस भर सुष्मिता बोली, " बिट्टू , तुम्हारे पापा
को मेरा नाच और गाना बुहत पसन्द था। जब भी भारत आते ,मैं उनसे मिलती थी। अब तो एक अरसा बीत गया,कोई खबर नहीं।"
रूही सही वक्त जान दिल की बात कह गई,माँ,मेरे पापा कैसे थे ?
आपने उनसे शादी क्यूँ नहीं की ?
बताओ ना ?,,,मेरे फ्रेंड विभोर भी,मैंने बताया था ना,, राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें भी मेरी आवाज़ व डांस बहुत अच्छा लगा ,जब मैंने कॉलेज फंक्शन में हिस्सा लिया था। कल उनकी मम्मा आ रही हैं, मुझे बुलाया है। "
सुष्मिता नाराज़ी जताते कहती है, " ना मेरी बिट्टू पहले मैं मिलूँगी। सब पता लगाकर ही हम तय करेंगे।"
सरला मेहता

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दादी की परी
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