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सतर्कता की अति भी अच्छी नहीं - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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सतर्कता की अति भी अच्छी नहीं

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संस्मरण,,, "सतर्कता की अति भी अच्छी नहीं"
# किस्सा कहानी
बात बहुत पुरानी है,जब मेरी पढ़ाई समाप्त ही हुई थी। और नई नई शादी, नया घर,नया माहौल,,,।
सब कुछ अनजाना जो शायद कुछ दीवाना बना देता है।
उस जमाने में अलग से कबर्ड वगैरह कहाँ रहते थे और ना कोई फ़ाइल। अपने अपने बक्से या सूटकेस। मैंने अपने पढ़ाई व प्रतियोगिताओं के सभी कागज़ात अपने बॉक्स के नीचे बिछे अख़बार के बीच में बड़े सम्भाल कर रख दिए।
कभी निकालने का काम ही नहीं पड़ा। एक दिन बॉक्स की सफ़ाई करते वक्त पुराने अख़बार अटाले में रख नए जमा दिए। भूल गई कि इतनी महत्वपूर्ण चीज़े रखी है।
दो दिन बाद ससुर जी ने मेरा सरनेम बदलवाने हेतु सर्टिफिकेट्स माँगे। कहाँ से मिलते ? मैं भागी स्टोर की तरफ़। पता चला सासूमाँ बाहर रद्दी वाले से मोलभाव कर रही है।
मैं दौड़ पड़ी बाहर की ओर। हड़बड़ी में तलाशने लगी अपना सबसे कीमती सामान। चिल्ला पड़ी ख़ुशी में, " ओ गॉड!
मिल गए।"
झूले पर बैठी मेरी भुआ सास कैसे चूकती," या केसी भगोड़ी लाड़ी,माँ ने अक्कल ज नी सिखई।"
तो साथियों मेरी विनम्र सलाह है कि इतने भी सतर्क मत बनो। खैर आजकल तो बढ़िया सी डिज़ाइनर फाइल्स भी उपलब्ध है।
सरला मेहता

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