कविताअतुकांत कविता
मर्दों में मर्दानी थी वो
झांसी वाली रानी थी
मणिकर्णिका नाम था
मनु बेटी कहलाती थी
नाना साथ खेलती थी
भाले बरछी खिलौने थे
वीर मनु महलों में आई
लक्ष्मी गंगाधर राव बनी
विधान विधि का कैसा
सूनी रानी की मांग हुई
ऐसे में फिरंगी आ पहुँचे
डलहौज़ी वॉकर व स्मिथ
व्यापारी बनके आ धमके
जमा लिए भारत में पासे
रानी नाना व साथियों ने
संग्राम की दुंदुभि बजाई
छक्के छूटे फिरंगियों के
रणभूमि में शक्ति दिखाई
काना मंदरा सखियाँ लेके
दोनों हाथों तलवारें चली
प्यारे घोड़े ने घायल होके
रानी को अलविदा कहा
नया नया घोड़ा रानी का
ना हार भवानी मानी थी
लड़ी आखरी साँसों तक
नदियाँ लाल बहाती रही
लड़ती हुई रणचंडी माँ ने
स्वयं का बलिदान दिया
अमर ज्योति बन होम हुई
इतिहास नवल लिखा गई
सरला मेहता