कविताअन्य
"बारिश वाला प्यार"
बारिश वाला प्यार के साथ
आज ये सावन का महीना
भी हसरतों का महीना बन गया!
जहाँ जज्बात भींग-भींग कर
दिल की सरगोशियों को
कुछ यूं प्यार से भींगाते है
कि हम बस उनकी पनाहों में
खुद को पाते है!
ये सावन का महीना
न जाने कितनी यादों को खुद में समेटे
हम पर बरसता है और हम
बड़े बेपरवाह से हरी-हरि चूड़ियों की खनखनाहट में उनकी आवाज सुनते है
जिन्हें हम बड़ी शिद्दत से प्यार करते है!
क्यूँ आजकी बरसात मुझसे ही
मेरी बातें तमाम करती है
उफ ये सावन भी सैकड़ों सवाल करती है!
किशन की तरह राधा से बातें
हजार करती है
झूलों की कसक अपने साथ रखती है
ये सावन सच में कमाल करती है।
एक छतरी के नीचे दो प्यार क्या मिले
सच ये बारिस वाला प्यार रूह को भींगा गया!
राधा शैलेन्द्र
भागलपुर