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बारिश वाला प्यार - Bhawna Gaur (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

बारिश वाला प्यार

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बारिश वाला प्यार
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बात उन दिनों की है जब हम अपनी अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए हिल स्टेशन गए हुए थे, एक सप्ताह का ट्रिप था मौज मस्ती में घूम रहे थे नहीं चिंता थी काम की और ना ही परिवार की जिम्मेदारी की बस मस्ती के कुछ दिन अपनी ज़िंदगी के जी ले, जहा हम घूमने गए हुए थे, कुछ लोग और भी आए हुए थे एक साथ घुल मिल रहे थे ...हँसी मजाक में दोस्ती हो गई, हम जहा जाते वो भी वहीं टकरा जाते... संयोग कहे या किस्मत का इशारा मैंने कह ही दिया, क्या बात है हमारा ही पीछा कर रहे हों, उन्होंने भी हँसकर कर दिया...आप हमें पसन्द ही इतनी आई फिर क्या था हम लोगों ने बातें करना शुरू कर दिया,ओह हम पसन्द आ गए...जाओ जाओ अपना काम करो ...जान पहचान तो हो ही चुकी थी, ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से जानते हैं।
हमनें फिर घूमने का प्रोग्राम एक साथ ही बना लिया पहाड़ी इलाक़े में अक्सर बारिश हो जाया करती है, पता नहीं होता मौसम का ...हम सभी एन्जॉय कर रहे थे सहसा अचानक बारिश बहुत तेज़ होने लगी जहा हमें घूमने गए हुए थे वहां से अपनी गाड़ी या होटल थोड़ा दूर था, सभी कहने लगे कि अरे चलते हैं यहा से ...बारिश में बिल्कुल भीग गए थे हवा भी बहुत तेज़ चल रही थी हर एक किसी का सहारा लेना चाहते थे, पेड़ के झरोखे में रूक जाए, तभी मेरा पैर फिसल गया पहले तो समझ नहीं पाई क्या हुआ सम्भाला खुद को लेकिन चल नहीं पा रही थी, फिर उन्होंने मुझे अपनी बाँहो का सहारा देकर खड़ा किए, पता नहीं वो सहारा अपना सा लगा पल में वो नज़रे मिली और प्यार हो गया, बस फिर क्या था हम दोनों मिलने का बहाना ढूढ़ने लगे... आँखों ही आँखों में पहली बार में प्यार हो गया।
ये बारिश की यादें कब कैसे एक प्यार के बंधन में बंध गए पता ही नहीं चला, यह सिलसिला छुट्टियां बिताने के बाद ऐसा हुआ कि हमनें अपनी ज़िंदगी साथ बहुत ख़्वाब सजोए मोबाइल पर घंटों बातें होती, वो दूसरे शहर के हम दूसरे फिर हम मिलने के लिए अक्सर प्लान बनाने लगे, ऐसा लगने हम दोनों को कि एक साथ जीवन जीना चाहिए..दोनों ने अपने अपने घर पर अपने पेरेंट्स से बात की हम दोनों प्यार करते हैं, परिवार एक दूसरे से मिले अच्छे लगे और रिश्ता तय हो गया।
सच में, कितना सुंदर ये बारिश वाला प्यार हुआ ,अंजान व्यक्ति कैसे एक दूसरे से टकराते है, प्रेम के शब्द दोनों को आकर्षित करते है, प्यार के पल में बंध जाते हैं... प्रेम की यही परिकाष्ठा है,पता नहीं कब कहा किसे प्यार हो जाए, बस यही एक मुलाकात ही जीवन भर का साथ बन जाता है।

स्वरचित रचना :- भावना गौड़
ग्रेटर नोएडा(उत्तर प्रदेश)

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