कविताअतुकांत कविता
ए सुनो-
पूनम का चाँद
हो गई हो तुम आजकल
महीने बाद ये तो आ जाता है
लेकिन तुम्हारा आना बाकि है
अंधेरी रातों में अब
तुम्हारी यादें झुलसाए जाती है
पूनम का चाँद
जितना है हमसे दूर
उतना तुम भी दूर हो गई
जिसका सिर्फ़ दूर से दीदार
किया जा सकता है
लेकिन तुम्हारा दर्शन
दुर्लभ हो गया है........!
तुम्हें लखना
और तुमसे बातें करना
पूनम के चाँद से
रूबरू होने जैसा है
सिर्फ़ कल्पनाओं में.......!!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
31/10/2020