कवितागजल
*मेरे जज्बात*
उसको कल यहां सोने की जल्दी थी,
शायद मुझसे से दूर होने की जल्दी थी।
मे पडा पलंग पर कहार रहा था,
उसको अपनों से बतियाने की जल्दी थी।
मेरी बात को अनसुना कर,
उसकों अपने के साथ वक्त बिताने की जल्दी थी।
जो कहती थी जीवन भर साथ दूंगी,
आज उसे मुझे छोडऩे की जल्दी थी।
एक परेशानी थी बताई मेने,
वो मेरी परेशानी को भूल जाने की जल्दी मे थी।
मेरे मन ने दिल ने हर पल प्यार किया उसको,
वो उसी प्यार का सही रास्ता दिखाने की जल्दी में थी।
सब कुछ ठुकराकर मेने उसका हाथ थामा,
शायद उसको वो हाथ छुडाने की जल्दी थी।
कितना प्यार किया उसको, हर पल याद किया उसकों, लेकिन उसको मेरे से दूर जाने की जल्दी थी।
मे दर्द से रोता रहा, उसको अपने के साथ रिश्ता निभाने की जल्दी थी।
मुझे मेरे हाल पर छोडकर, उसको सोने की जल्दी थी।
कहता था राज मत कर ये प्यार,
यहां सबको अपने ओर सिर्फ अपने तक रहने की जल्दी थी।
उससे सोने की जल्दी थी
उससे सोने की जल्दी थी।।
*✍🏼✍🏼राज खण्डेलवाल*