कवितानज़्म
हम को मालूम है हक़ीक़त हयात की
मग़र ज़िंदगी में कोई बात है तो है!
दुनिया चल नहीं सकती दिन के बग़ैर
दिनके उजाले के बाद रात है तो है!
महफ़िलों की बनती है शान दोस्तों से
दोस्तों की अपनी औक़ात है तो है!
बड़े पापड़ बेलने पड़तेहैं इस जीवनमें
जीना सियासत की बिसात है तो है!
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر