कवितालयबद्ध कविता
विजय पताका हम लहराएंगे दुश्मन को हम मर गिराएंगे जो दुश्मन हो आंखों के सामने हम बिल्कुल भी नहीं घबराएंगे चलेंगे अपनी चाल बहुत सावधानी से इसकी खबर भी ना दुश्मन को हम लगने देंगे हम हिंदुस्तानी हैं यह गर्व से सबको बतलाएंगे कोई भी हो दुश्मन नहीं हार मानेंगे हम विजय पताका हम लहराएंगे जितनी भी मुश्किलें आए हम कभी नहीं घबरा आएंगे चलते जाएंगे कठिन रातों पर भी हम विजय पताका लहराएंगे।
स्वरचित कविता
डॉ. ऋषिका वर्मा
गढ़वाल उत्तराखंड