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अकेला पुरू ही काफ़ी है सिकंदर को हराने केलिए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अकेला पुरू ही काफ़ी है सिकंदर को हराने केलिए

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उसका अपना ही तकब्बुर काफ़ी है सितमगर को डुबाने केलिए
ग़ुरूर-ओ-गुमाँ की एक बूंद ही काफ़ी है समंदर को डुबाने केलिए

बादशाहतें और सल्तनतें सब मिलकर मुक़ाबिला करें ज़रूरी नहीं
एक अकेला सुल्तान पुरू ही काफ़ी है सिकंदर को हराने केलिए

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ 'बशर' bashar بشر

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