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कवितानज़्म
सऊबतें हों के सुकून बर्ग ए गुल हों के बबूल राह - ए - इश्क़ में फरहाद को हैं सब क़बूल © डॉ. एन. आर. कस्वाँ 'बशर' bashar بشر