लेखआलेख
# नमन # साहित्य अर्पण मंच
#विषय: साहित्य अर्पण का अब तक का सफर
#विधा: मुक्त
# दिनांक: फ़रवरी 26, 2025
#शीर्षक: रोचक और लाभ दायक सफर
मैं विज्ञान और इंजीनियरिंग का छात्र रहा हूँ, लेकिन मैं छोटी उम्र से ही पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनों के साथ हिंदी में भी लिखता रहा हूँ। मुझे जनवरी 2024 में साहित्य अर्पण डॉट कॉम का सदस्य बनने का सौभाग्य मिला। मैंने देखा कि इस पोर्टल का नेतृत्व एक ईमानदार, मेहनती और दूरदर्शी महिला कर रही हैं। इसमें लेखकों का एक बड़ा आधार है और भारत के कई राज्यों और शहरों के साथ-साथ देश के बाहर भी इसकी कई ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियाँ हैं। मुझे इस पोर्टल के लिए हिंदी में लिखते हुए एक साल से अधिक समय हो गया है। मेरे रिकॉर्ड के अनुसार मैं इस पोर्टल द्वारा आयोजित लगभग सभी आयोजनों के लिए लिखता रहा हूँ। मेरी कुल पोस्ट की संख्या 49 है और मुझे पोर्टल से 28 अभिमूल्यन प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं। मेरी पहली पोस्ट 02 जनवरी 2024 को थी, जिसका शीर्षक था “बुजुर्गों का सम्मान करना”। पोर्टल के अधिकारी पूरी तरह से जानते हैं कि बेहतर प्रदर्शन के लिए लेखक के लिए प्रोत्साहन आवश्यक है। मैं पोर्टल अधिकारियों को उनकी सहायता और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ। एक साल मुझे बहुत अनुभव हुआ, दूसरे लेखक मित्रों के बारे में पता चला और प्रमाण पत्र पाकर खुशी हुई। इस पोर्टल ने मेरी रचनाओं को कुछ दिशा दी। मैं बुधवार का इंतज़ार करता हूं जब आम तौर पर लेखकों की प्रतिक्रिया के लिए नए विषय की घोषणा की जाती है। मेरी ज़्यादातर रचनाएँ आलेख के रूप में ही रही हैं। साल भर में हमने अलग-अलग विषयों पर पोस्ट पढ़ी हैं। कई पोस्ट फ़ेस्टिवल के लिए थीं। चुने हुए विषयों के अलावा कई चित्र-आधारित विषय भी थे। इनसे लेखक को चीज़ों की कल्पना करके लिखने का खुला मौक़ा मिला। मैं ऐसे चित्र-आधारित विषयों से ख़ास तौर पर खुश था। हमने सीखा कि चीज़ों को देखने के कई तरीक़े हो सकते हैं। इससे हमें अपने आत्म-विकास में मदद मिली। हालाँकि मेरे लिए बुधवार का दिन बहुत व्यस्त होता है, लेकिन इससे इस पोर्टल में मेरी दिलचस्पी कम नहीं हुई। मैं हर हफ़्ते इनके आयोजनों को देखता था और चाहता था कि मैं भी कोई पोस्ट लिखूँ। इस पोर्टल ने मेरे अंदर यह भावना पैदा की। यहाँ अच्छी बात यह है कि पाठकों की ओर से उत्साहवर्धक शब्द मिलते हैं। ये बहुत ज़रूरी हैं। मैं पोर्टल के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे सदस्य के रूप में स्वीकार किया और साथी लेखकों को उनकी समझ, प्रशंसा और समय-समय पर प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद देता हूँ। आशा करता हूँ कि साहित्यार्पण डॉट कॉम भविष्य में सभी के लाभ के लिए तेजी से प्रगति करेगा।
बेंगलुरु से विजय कुमार शर्मा