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मिले नहीं बुराई किसी सूरत जमाने से - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मिले नहीं बुराई किसी सूरत जमाने से

  • 19
  • 1 Min Read

तारीफ़ बे - शक मिल नहीं सकती महज़ किसी के चाहने से
इतनीसी हो ख़्वाहिश के मिलेनहीं बुराई किसीसूरत जमाने से

© बशर. bashar • بَشَر.

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