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कवितालयबद्ध कविता
अगर ये धूप हो घर मे,तो छाव तुम ही तो लाते हो। मेरे पैरों के कांटो को,तो तुम ही तो हटाते हो।। मेरी उंगली को थामकर,तो तुम ही तो चलते हो। मेरी किस्मत के शंकर हो,तुम्ही पापा कहलाते हो।।