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कवितानज़्म
शाखें रहीं सलामत तो पत्ते भी आएंगे फूलों के गुच्छे भी आएंगे आज अगर हालात नहीं हैं अच्छे तो कल दिन अच्छे भी आएंगे मानाकि आज छल कपट फ़रेब और दगाबाजियों का दौर जारी है मग़र झूठ सदा रहता नहीं कायम "बशर" लोग सच्चे भी आएंगे @'बशर'