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कवितानज़्म
जिंदगी में दोस्ती किसी से हो जाए मयस्सर जिंदगीभर ज़हे-नसीब हमारे उम्र-ए-तमाम अहबाब की आजमाइशों में रक़ीब ही आते रहे क़रीब हमारे @"बशर"