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कवितानज़्म
नख से सर तक हिज़ाब में ढके हुए हुस्न अपने मेयार के दायरे में कैद है, ख़ूबसूरत कामिनी किस काम की घर के दीवारो- दर के दायरे में कैद है! @"बशर"