कविताअतुकांत कविता
उसने कहा
एक दिन उसने कहा -
तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो
तुमसे बात करना अच्छा लगता है....!
मैंने कहा...
मैं तुझे क्यूँ अच्छा लगता हूँ.....?
तो वो बस इतना ही कह पाई
पता नहीं...
लेकिन मुझे अच्छे लगते हो...!
तुम सबकी मदद करते हो
मेरी हर एक बात मानते हो
मुझ पर इतना अहसान कर रहे हो
उतना कोई नहीं कर पाया .......!
और फिर एक दिन....
उसने कहा-
मैं तुमसे बहुत नफ़रत क़रतीं हूँ
तुम बेहद बुरे हो....
मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी
तुम कभी मुझे शक़्ल मत दिखाना.....!
उसने कहा-
मुझे तेरी कोई
जरूरत नहीं है अब
सब जरूरतें पूरी हो गई हैं........
मैंने कहा-
फिर सोच लो एक बार
किसी दिन दुःख में
याद कर सको तो करना
मैं तब भी तेरी जरूरत पूरी करूँगा........!!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
२६/०९/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित