Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
काबू अपनी जुबाँ पर हर-सूरत रखिए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

काबू अपनी जुबाँ पर हर-सूरत रखिए

  • 5
  • 2 Min Read

तन सुंदर हो कि ना हो अल्फ़ाज़ अपने ख़ूबसूरत रखिए
मुंतज़िर हो शुभ घड़ी के तो इसी क्षण शुभ मुहूर्त रखिए
ख़ूबसूरती ज़िस्मकी भुलादी जातीहै लफ़्ज़ याद रहते हैं
गोया कि काबू अपनी जुबाँ पर "बशर" हर -सूरत रखिए
@"बशर"

InCollage_20241007_111201271_1729049969.jpg
user-image
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg