कविताअतुकांत कविता
दोस्ती
न तो हंसाया तुमने
न ही रुलाया तुमने
न कोई झगड़ा तुमसे
न ही कोई गिला तुमसे
न ही कोई शिकवा तुमसे
न ही कोई शिकायत तुमसे
फिर भी ए-दोस्त....
तुम्हें दोस्ती का
ये दिन मुबारक हो........!
न तो कभी दूर किया तुमने
न ही कभी पास बुलाया तुमने
न ही दिल के पास समझा तुमने
न ही कभी महत्व दिया तुमने
फिर भी ए-दोस्त.......
तुम्हें दोस्ती का
ये दिन मुबारक हो........!
न तो अपना ही समझा तुमने
न ही बेगाना किया तुमने
न ही कभी कुछ बताया तुमने
हर एक बात को छुपाया तुमने
फिर भी ए-दोस्त........
तुम्हें दोस्ती का
ये दिन मुबारक हो.......!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
मौलिक एवं अप्रकाशित
०२/०८/२०२०