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कविताअन्य
अपराधियों के हौसलें बुलंद है मेरे देश में, बेटियाँ अब सुरक्षित नहीं हैं मेरे देश में, भेडियें घूमते है यहाँ आदमी के वेश में, कानून, मीडिया, अदालत सब मौन हैं मेरे देश में, बेटियाँ सुरक्षित नहीं यहाँ मानवता शर्मसार है मेरे देश में। सु मन