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कवितानज़्म
रहमो-करम उसका इतनातो सबपे रहे हरहाल में कि रहे न कोई इस क़दर भी कशीदगी के हाल में, दिन की न हो ख़बर ना ही नींद शब-ए-विसाल में गोयाकि जीनाही छोड़दे बशर ग़मे-रंजो-मलाल में! @ "बशर" بشر