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कवितानज़्म
कोई कहे हंसना ज़रुरी है कोई कहे रोना ज़रूरी है मग़र हंसना हो चाहे रोना हो दिल से होना ज़रूरी है इन्सान का दैर - ओ - हरम में जाना ज़रूरी नहीं है बल्कि भगवान का इन्सान के मन में होना ज़रूरी है @"बशर"