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यकसाँ खुद भगवान नहीं होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

यकसाँ खुद भगवान नहीं होता

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कोईभी शख़्स किसी दूसरे शख़्स की पहचान नहीं होता
यकसाँ शक्ल - ओ -सूरत का यहाँ पर इन्सान नहीं होता

यहाँ तो खुदा भी सबके अलग अलग हैं जमाने में 'बशर'
उसीकी अपनी दुनिया में यकसाँ खुद भगवान नहीं होता

© 'बशर' بشر.

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