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मनों के मिलने से घर बनता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मनों के मिलने से घर बनता है

  • 24
  • 1 Min Read

मुसलसल मेहनत करते रहनेसे मुकद्दर बनता है
साथ रहने से नहीं मनोंके मिलने से घर बनता है

कंकरीट की इमारतों का नाम शहर नहीं होता है
ज़िन्दगी जिंदा नज़र आती हैं वहाँ शहर बनता है

@"बशर "

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