Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हिंदी दिवस के लिए - Atulya Sharan (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेम कहानियाँ

हिंदी दिवस के लिए

  • 202
  • 20 Min Read

हिंदी दिवस २०२०
प्रतियोगिता के लिए।

संजोग।

चांंगी अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा,रात ११.०० बजे।
११.३० रात की मुम्बई फ्लाइट के लिए समय से पहुंच
गया था पर फ्लाइट आधे घंटे लेट थी। बोर्डिंग होने में अभी देर थी। इनक्लोजर नं ४८ की सभी सीटें लगभग भरी हुई थी। सरसरी नजर इधर उधर देख रहा था कि एक लड़की ने अपनी बगल वाली कुर्सी से अपना लैपटॉप बैग हटाते हुए कहा -
"सर, आईए यहां बैठ जाईए।"
थैंक्स कहकर मैं बैठ गया और वह अपना फोन देखने लगी।
एकाएक उसके फोन पर मेरी नजर पड़ी तो मैं चौंक गया। मेरी भवें तन गई और मैंने उससे सख्त लहजे में पूछा-- यह फोन तुम्हारा है?
'जी' उस ने सहमी आवाज में कहा।
"क्या में तुम्हारा फोन देख सकता हूं?"
फोन क्लिक करते ही मुझे एक झटका सा लगा। अब उस से बात करना जरूरी हो गया था। अतः पूछा
"मुम्बई में रहती हो?"
"नहीं, अहमदाबाद जाउंगी, वही रहती हूं।"
"पढ़ती हो?"
"जी,आई आई एम अहमदाबाद में।"
"फाइनल इयर है?"
"नहीं, फर्स्ट इयर में।'
"शादी हो गई है?"
"नहीं"
"फिर यह फोन में तुम्हारा कपल फोटो?"
वह शरमा गई और इधर उधर देखने लगी
मैंने फिर टोका--"तुमने जबाव नहीं दिया?"
"वे कालेज में मेरे सीनियर है,हम एक दूसरे को पसन्द करते हैं।"
"सिर्फ पसंद करते हैं?"में मुस्कुराया तो उसका हौसला बढ़ गया।
"नहीं, अच्छे दोस्त हैं।"
"सिर्फ दोस्त है या..."
"हम दोनों शादी करना चाहते हैं-"
"फिर दिक्कत क्या है?"
"आप को क्या क्या बताऊं, आप नहीं समझेंगे ।"
" फिर भी...
"वो लोग बिजनेस क्लास में ट्रैवेल करने वाले हैं और हमलोग इकानॉमि क्लास में। वो पंजाबी है और हम गुजराती।"
"और कुछ?" मैंने हंस कर पूछा तो उसकी हिम्मत बढ़ गई
"मेरे पिता जी की हिम्मत नहीं होती उनके घर जाने की।"
"क्यों?"
"वो उन्ही की कम्पनी में मामूली मैनेजर है, कहते हैं उन्हे पता भी चल गया तो नौकरी चली जाएगी।"
"फिर लड़का क्यों नहीं कुछ करता।वह तुम से प्यार तो करता है ना"
"वह क्या करेगा सर, वह अपने पापा से बहुत प्यार भी करता है और डरता भी है।"
"क्या कहता है?"- मैंने हंस कर पूछा तो उसका उत्साह बढ़ गया, बोली,
"कहता है पापा बहुत प्यारे इनसान है लेकिन डिसिप्लिन के बहुत सख्त है। बच्चों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन लव मैरिज ----उनकी समझ से बहुत परे है। कहीं उन्हें गुस्सा आ गया तब तो..."
"यह सब उसने प्यार करने से पहले नहीं सोचा?"
वह चुप रही और सिर झुका लिया।
मैंने लड़की को पहली बार गौर से देखा।सलवार कुर्ता में बहुत मासूम और खूबसूरत लग रही थी।
फिर मैंने ही राय दी, "कोर्ट मैरिज क्यों नहीं कर लेते?"
"नही सर," उसने बड़ी ढृढ़ता से कहा,
"हमलोगो ने पहले ही प्रामिस कर रखा है कि ना तो शादी से पहले मर्यादा तोड़ेंगे और ना पेरेंट्स की मर्जी बिना शादी करेंगे।"
"तो वह नालायक तुम्हें अपनी मां से क्यों नही मिलवाता?"
"मैं मिली थी ना सर,उसकी मां ने ही तो मुझे यह फोन दिया है।" वह चहक कर बोली तो मुझे अच्छा लगा।
"ओह! तब क्यो उदास हो। वो अपने पति से क्यों नहीं बात करतीं।"
"कहती है मूड देख कर बात करूंगी। बहुत नाज़ुक मामला है। लेकिन छः महीने तो हो गये‌ सर। अभी तक कुछ नहीं हुआ।"
"भविष्य के लिए क्या सोचा है?"
"कुछ नहीं!"
"मतलब"
"सब सपने तो कुणाल के साथ ही देखे हैं सर। मैं अकेली तो कुछ भी नहीं कर पाऊंगी।" उस की आवाज भर‌ आई तो मुझे उस पर दया आ गई।
"तो कुणाल नाम है उसका। देखने में कैसा है?"
उस के चेहरे पर चमक आ गई और बोली,
"बहुत स्मार्ट और हैंडसम है सर।"
मैं मुस्कुराया तो उसका हौसला और बढ़ गया।
"सर आप ने अपने बारे में कुछ नहीं बताया?"
"तुम ने पूछा ही नहीं।"
"अब बताइए न सर।"
"कुछ खास नहीं, मैं एक उद्योगपति हूं और मुम्बई में
रहता हूं लेकिन बिजनेस क्लास में ट्रैवेल करता हूं।
कोई एतराज़!"
"मुंबई में कहां सर?"
"पाली हिल में।"
"अरे पाली हिल में तो वो लोग भी रहते हैं।"
"वो कौन?"
"कुणाल और उसके परिवार वाले,बंसल फैमिली ,आप जानते हैं उन्हे?" वह चहक उठी।
"थोड़ा बहुत। मैं हंस कर बोला।"
"तो कुछ हमारी मदद करिए ना सर।"
"देखता हूं। "
"आप प्रामिस करें सर कि आप बंसल साहब से बात करेंगे।"
बिजनेस क्लास के लिए बोर्डिंग की घोषणा हो रही थी।
मैं सीट से उठा और पर्स से एक कार्ड निकाल कर उसकी तरफ बढ़ा दिया।"मेरा कार्ड है रख लो और अगले सन्डे को अपने माता-पिता के साथ आकर मुझसे मिलना।" उस ने कार्ड मुठ्ठी में दबा लिया और मेरी तरफ देखती रही।
अभी प्लेन में सीट पर एडजस्ट हो ही रहा था कि वह भागती हुई आई और सर पर दुपट्टा डाल कर मेरे पैरों पर झुक गई।
शायद उसने कार्ड पढ़ लिया था।

स्वरचित एवं मौलिक
अप्रकाशित। जनकजा कान्त शरण

logo.jpeg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG