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कवितानज़्म
मुश्त'इल ही नहीं इन्सानी अहसास रखा करो खुद पर भरोसा अपनों पर विश्वास रखा करो! हर जगह दीमाग ही काम नहीं आया करता है थोड़े-बहुत जज़्बात भी अपने पास रखा करो! @"बशर