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कवितानज़्म
इब्तिदा है आना तिरा हमारी जिंदगी की नज़राना है पाना तिरा हमारी बन्दगी की हासिलहुई दौलत हमें दुनिया जहाँभर की शुक्र खुदा का मुक़म्मल मुराद जिंदगी की @"बशर"