कवितानज़्म
हो रहा है जो आसपास लिखते हैं
हां हम अपने अहसास लिखते हैं!
खट्टे मीठे तजुर्बात इस ज़िन्दगी के
ग़मो-खुशी का आभास लिखते हैं!
ग़ुरबत में ग़रीब की कैसे हो बसर
बातेंसब आम-ओ-खास लिखते हैं!
तंगहाली के मुश्क़िल इम्तिहान में
गरीबके बच्चे होरहे पास लिखते हैं!
मुफ़लिसी का दौरभी गुज़र जाएगा
हम बस अपना विश्वास लिखते हैं!!
@'बशर'