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हम अपना विश्वास लिखते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हम अपना विश्वास लिखते हैं

  • 14
  • 2 Min Read

हो रहा है जो आसपास लिखते हैं
हां हम अपने अहसास लिखते हैं!

खट्टे मीठे तजुर्बात इस ज़िन्दगी के
ग़मो-खुशी का आभास लिखते हैं!

ग़ुरबत में ग़रीब की कैसे हो बसर
बातेंसब आम-ओ-खास लिखते हैं!

तंगहाली के मुश्क़िल इम्तिहान में
गरीबके बच्चे होरहे पास लिखते हैं!

मुफ़लिसी का दौरभी गुज़र जाएगा
हम बस अपना विश्वास लिखते हैं!!
@'बशर'

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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