कविताअन्य
माना कि जरूरी है चहुंमुखी विकास होना सबका मगर,
देश या जन आगे ना बढ़ सकेगा मातृ भाषा को भूलकर।
ना भुला है फ्रांस फ्रेंच ना अरब अरबी और ना इटली इटेलियन,
तो फिर क्यों हम हिंदी भाषी भूल जाते है अपनी हिंदी।
शान से कहो और रही शान से हम है हिंदी भाषी हिंदी वाशी,
संस्कृत से जन्मी और उर्दू की रिश्ते में लगती है बहन मीठी।
है एक ही एहसास को बयान करने के शब्दों की कोई कमी नहीं,
फिर क्यों कहते है हिंदी दूसरी भाषाओं से अच्छी है नहीं।
कुछ करना नहीं हमें आज भी हिंदी के लिए मगर,
थोड़ा सम्मान देना है सभी भाषाओं की तरह हिंदी को भी।।