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वक़्त के घाव वक़्त के साथ खुद ही भर जाएंगे - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वक़्त के घाव वक़्त के साथ खुद ही भर जाएंगे

  • 37
  • 1 Min Read

मत छेड़ा करो इन जख्मों को नासूर बन जाएंगे,
वक़्त के घाव वक़्त के साथ खुद ही भर जाएंगे!
© "बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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